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________________ जैन रत्नाकर तेरहसूत्री योजना-गुरुधारणा १-देव-अरिहन्त-(वीतरागी) २-गुरु-निग्रन्थ-अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह इन पांच नियमों को पूर्णतया पालन करनेवाले मुनि । ३-धर्म-वीतराग कथित अहिंसादि धर्म । गुरुधारणा-सम्बन्धी त्याग कुदेव, कुगुरु, और कुधर्म को धार्मिक देव, धार्मिक गुरु और धर्म (आत्म साधक धर्म ) मानने का त्याग करना । -मानवताके आवश्यक तेरह नियम१-शुद्ध साधुवों को अशुद्ध (साधुवों के लिए बनाया हुवा, खरीदा हुवा आदि ) आहार पानी देने का त्याग करना । २- क्रोध, भय, दुःख, और सङ्कट आदि कारणों से जहर खाकर कुए में गिर कर आदि उपायों द्वारा आत्महत्या करने का त्याग करना। ३-निरापराध चलते फिरते जीवों को जान बूझकर मारने का त्याग करना। ४-मद्य पीने का त्याग करना । ५-मांस खाने का त्याग करना । ६-बड़ी चोरी करने का त्याग करना । ७-जूबा खेलने का त्याग करना। ८-असत्य साक्षी देने का त्याग करना-कमसे कम जिसके
SR No.010292
Book TitleJain Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKeshrichand J Sethia
PublisherKeshrichand J Sethia
Publication Year
Total Pages137
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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