SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जेन रेनाकर रहे भारिमल रायेन्दुजी रे, जय जश अमन्द मिलै ॥ ४ ॥ मघ माणिकलाले । डालिम कलिमल कन्दन कालू, वन पालू इक इक आले । अयि० । तुलसी गणि तस अनुपद चालें । मिल संघ सयल सायंकाले । करो वीर प्रार्थना समकाले || ५ | 1 श्री भिक्षु भक्ति ( देशी - श्याम कल्याण ) श्री भिक्षु स्वामी द्योनि मोहि भक्ति तुम्हारी । भक्ति तुम्हारी प्रभु शक्ति तुम्हारी, युक्ति मुक्ति पथ वारी | आँकड़ी | भक्ति विशाली भाली भगवन् निराली, सुर थये चरण पुजारी ॥ १ ॥ शक्ति तुम्हारी प्रभु सत्य सपथ पर, आत्मवली करनारी ॥ २ ॥ युक्ति तुम्हारी प्रभु वर्णन वर्ण न जाणत सकल संसारी ॥ ३ ॥ तीन चीज नी रीझ जो पाऊँ, तो थाऊँ त्रिभुवन संचारी ॥ ४ ॥ चारुवास छापूर विच सुमरे, तुलसी नवम पट धारी ॥ ५ ॥
SR No.010292
Book TitleJain Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKeshrichand J Sethia
PublisherKeshrichand J Sethia
Publication Year
Total Pages137
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy