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________________ ब्रिह्मचर्य का अद्वितीय आदर्श 'सुदर्शन चरित्र इक रंगे और बहुरंगे १२ चित्रों से सुसज्जित ) सेट सुदर्शन परम जितेन्द्रिय पुरुष थे। अपने जीवन काल में स्त्रियों द्वारा अनेकों उपसर्ग होने पर भी वे कर्तव्य पथ से विचलित नहीं हुए। जैसे सोने की परीक्षा उसे कसोटी पर घिस कर, काट कर हथौड़ी से कूट कर और आय मे तपा कर की जाती है, वैसे ही सेठ सुदर्शन-स्वर्ण की भी परीक्षा की गयी। पहले वे कपिला की कसौटी में कसे गये. फिर असया ने अभय होकर अपनी काम कतरनी से जांचा, इसके बाद उन्होंने वेश्या-हथौड़ी के हाव भाव की चोट खायीं और अन्त में भूतनी के भभकते हुए अग्नि कुण्ड में तपाये गये; किन्तु खरे सोने की भाँति उनकी प्रभा बढ़ती ही गयी। यद्यपि वे विद्यमान नहीं है, तथापि उनका नाम आज भी जैन-जगत में जगमगा रहा है। जैनेतर विद्वान-लमालोचकों ने लिखा है कि "यदि सुदर्शन की जीवन-कालिक घटनाएँ सत्य हैं, तो यह निःशंकोच.कहा जा लपाता है, कि वे परम जितेन्द्रिय पुरुष थे।" __ यदि स्त्री-चरित्र के गूढ रहस्यों को जानना है, तो इस आदर्श पुरुष के जीवन-चरित्र को अवश्य पढ़िए । मनुष्य मात्र के लिए यह संग्रह करने और उपहार देने योग्य पुस्तक है। मूल्य केवल ३॥
SR No.010292
Book TitleJain Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKeshrichand J Sethia
PublisherKeshrichand J Sethia
Publication Year
Total Pages137
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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