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________________ जैन रत्नाकर ११६ १३ किसी की निन्दा तो नहीं की ? १४ किसी भी सभा या सम्मेलन में पीछे से आकर आगे बैठने ____ की चेष्टा तो नहीं की? ६५ किसी पर कटु आक्षेप तो नहीं किया ? १६ भोजन के समय सुदान की भावना की या नहीं ? १७ दान, जान बूझकर अशुद्ध तो नहीं दिया ? १८ दान देते समय भावना में विकार तो नहीं हुआ या कम लेने पर क्रोध तो नहीं आया ? १६ दान देकर कुछ उन्नोदरी की या नहीं ? २० किसी व्रत में दोष तो नहीं लगाया ? २१ बाहरी एवं अन्य बातों से प्रभावित होकर सच्चे देव, गुरु, धर्म और शास्त्रों के प्रति अश्रद्धा तो नहीं को ? २२ तात्विक अध्ययन और पठन के लिये कुछ समय दिया या नहीं ? २३ किसी की उन्नति व ऐश्वर्य देख कर ईयां तो नहीं की ? २४ दूसरों की बरावरी करने के लिये नैतिक जीवन से गिराने __वाले कर्म तो नहीं किये ? २५ किसी की छिपी बात को प्रकाशित कर बदनाम करने की . चेष्टा तो नहीं की? २६ किसी के साथ अशिष्ट व्यवहार तो नहीं किया, बोलने में अश्लील शब्दों का प्रयोग तो नहीं किया ?
SR No.010292
Book TitleJain Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKeshrichand J Sethia
PublisherKeshrichand J Sethia
Publication Year
Total Pages137
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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