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________________ हनुमानका सीताकी खबर लाना। २७१ तत्पश्चात राम और लक्ष्मण, विराध व उसकी सेना सहित पाताललंकाके पास आये। वहाँ शत्रुहन्ता खरका पुत्र सुंद बड़ी भारी सेना लेकर युद्ध करनेको सामने आया । बड़ी देरतक अग्रगन्ता पूर्वे'विरोधी विराधके साथ वह युद्ध करता रहा। फिर लक्ष्मण युद्धमें आये । उनको युद्धमें देख, वह चंद्रनखाके कहनेसे भाग कर लंकामें रावणके शरण चला गया। ___ राम और लक्ष्मणने पाताललंकामें प्रवेशकर, विराधको उसके पिताकी गद्दीपर बिठाया। फिर राम और लक्ष्मण खरके महळमें रहे और विराध युवराजकी भाँति सुंदके महलोंमें रहने लगा। छद्मवेषी सुग्रीव और सच्चेसुग्रीवका युद्ध। - उधर सुग्रीवकी प्रिया ताराके अभिलाषी साहसगति विद्याधरको-जो बहुत दिनोंसे हिमालयकी गुफामें जाकर विद्या साध रहा था-प्रतारणी विद्या सिद्ध हो गई। उस विद्याके द्वारा कामरूपी ( इच्छित रूप करनेवाले ) देवकी तरह वह सुग्रीवका रूपधर, आकाशमें जैसे दूसरा सूर्य हो वैसे, किष्किंधाके पास गया। . सुग्रीव जब क्रीडा करने के लिए बाहिर गया; तब उसने तारा देवीसे सुशोभित अन्तःपुरमें प्रवेश किया। थोड़ी ही देरके बाद जब सच्चा सुग्रीव वापिस आया, तब उसको
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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