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________________ राम लक्ष्मणकी उत्पत्ति, विवाह और वनवास । १५९ दशरथने सब सुन, नारदको, पूजा करके, रवाना कर दिया । नारदने, वहाँसे जाकर, जनकको भी सब बातें सुनाई। दशरथ अपने मंत्रियोंको बुला, सब समाचार सुना, उनको राज्यका कारो बार सौंप, योगीकी तरह काल बितानेके लिए वहाँसे जंगलमें चला गया। शत्रुको धोखेमें डालनेके लिए मंत्रियोंने दशरथकी एक लेप्यमय मूर्ति बनवाकर राज्यगृहकी एक अँधेरी जगहमें रखवा दी। जनक राजाने भी दशरथ हीकी भाँति किया और उसके मंत्रियोंने भी दशरथके मंत्रियोंहीकी तरह किया । दशरथ और जनक अलक्ष्य-गुप्त-रूपसे पृथ्वीमें 'फिरने लगे। ___ क्रोधग्रस्त विभीषण अयोध्यामें आया और अंधकारमें रही हुई दशरथकी लेप्यमय मूर्तिका उसने, खडसे सिर काट दिया । उस समय सारे नगरमें कोलाहल मच गया; अंतःपुरमें चारों ओर रोनाकूटना शुरू हो गया। अंगरक्षकों सहित सामंत राजा वहाँ दौड़ गये; और गूढ मंत्रवाले मंत्रियोंने राजाकी सर्व प्रकारकी उत्तर क्रिया कर डाली। दशरथ राजाको मरा समझ, बिभीषण जनकको न मार, यह सोच लंकाको चला गया कि, अकेले जनकसे क्या हो सकता है ?
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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