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________________ (१८) ४-इस मालामें केवल श्वेतांबर जैनाचार्य रचित ग्रंथोंका हिन्दी अनुवाद ही प्रकाशित होता है। ५-जो सज्जन एक ग्रंथकी एक साथ तीन या ज्यादा प्रतियाँ लेना चाहते हैं, और ग्रंथ छपनेके पहिले १) रु. पेशगी भेज देते हैं, उनका नाम धन्यवादपूर्वक प्रकाशित किया जाता है । रुपया पुस्तकोंकी कीमतमें मुजरे दे दिया जाता है । ६-ग्रंथ तैयार होने पर, कार्डद्वारा उसके मूल्य आदिकी सूचना दी जाती है और फिर ग्रंथ पौनी कीमतकी वी. पी. से भेजा जाता है। ७-जो विनाकारण ग्रंथ वापिस लौटा देते हैं उनको डाक व्यय देना पड़ता है। ८-स्थायी ग्राहक-श्रेणीसे नाम निकलवा लेनेवालोंके ॥) आने वापिस नहीं दिये जाते । पाठक ! हमारे लिए, महावीर हिन्दी-जैन-ग्रंथमालाके लिए आपके लिए; सबही के लिए; यह आनंदकी बात है कि, आज महावीर भगवानका निर्वाणोत्सव है । इसी उत्सवके दिन अपनी ग्रंथमाला प्रारंभ हुई है। इसलिए हमें आशा है कि, माला सदा फली फूली रहेगी और पाठक जैसे भगवानके निर्वाणोत्सवसे प्रेम करते हैं उसी तरह उनकी दिव्यवाणी सुनानेवाली इस ग्रंथमालासे भी प्रेम करेंगे। पत्रव्यवहारका पताव्यवस्थापक ग्रंथ भंडार, ) निवेदक, माढूँगा (बम्बई) कार्तिक विद ऽऽ वीर संवत २४४६.) व्यवस्थापक।
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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