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________________ हनुमानकी उत्पत्ति और वरुणका साधन। १३९ •wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwe यह देखकर गजेंद्रोंके सामने जैसे केसरी-किशोर आता है, वैसे ही क्रोधसे दुर्द्धर बना हुआ दारुण हनुमान सामने आया और उसने अपनी विद्याके बलसे वरुणके पुत्रोंको पशुओंकी भाँति बाँध लिया। ___ अपने पुत्रोंको बँधे देख मार्गके वृक्षोंको जैसे वायु कँपा देता है, वैसे ही सुग्रीव आदि योद्धाओंको कँपाता हुआ वरुण हनुमानके ऊपर दौड़ गया। ___ उसको आते देख हनुमानने बाणवर्षा कर उसको बीचहीमें रोक दिया। जैसे कि नदीके वेगको पर्वत रोक देता है । इतनेहीमें रावण उसके पास पहुंच गया। दोनों में बड़ी देरतक, जैसे बैलके साथ बैल और हाथीके साथ हाथी लड़ता है वैसे, लड़ाई होती रही । अन्तमें छलके जानने वाले रावणने अपने पूरे छल, बलसे वरुणको व्याकुल कर दिया और फिर उछलकर, जैसे ' इन्द्र ' को पकड़ा था वैसे ही उसने वरुणको भी पकड़ लिया । कहा है कि:-- सर्वत्र बलवच्छलम् ।' ( सब स्थानों में छल ही बलवान है।) फिर जयनादसे दिशाओंके मुखोंको शब्दायमान करता हुआ, विशाल कंधवाला रावण अपनी छावनीमें गया । वरुणने पुत्रों सहित आधीन रहना स्वीकार किया; इस लिए रावणने उनको छोड़ दिया। कहा है कि:
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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