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________________ ( ११ ) सेठकेसरमिलजी गूगलियाका परिचय | आप धामकके रहनेवाले हैं। गंभीरमलजी बख्तावरमलजी के नामसे आपकी दुकान चलती है । आपके यहाँ बहुत बड़ी जमींदारी है । लेन देनका व्यापार है । यही खास आमदनी का जरिया है | रूईकी गाँठें भी बँधवाकर आप बम्बई में भेज दिया करते हैं। आपको " लोग लग भग तीस चालीस लाखकी आसामी बताते हैं । आपका जन्म संवत १९४७ के बै. सु. ४ को एक साधारण गृहस्थ के घर में हुआ था; परन्तु आपका पुण्य बड़ा प्रबल था, इस लिए धामकमें आप गंभीरमल बख्तावरमलके यहाँ सात आठबरस --- हीकी आयु में गोद आगये । यद्यपि आपकी शिक्षा बहुत ही साधारण हुई है; तथापि विद्या से आपको बहुत बड़ा प्रेम है । आप विद्याप्रचारके कार्य में और ज्ञानप्रचारके कार्यमें यथेष्ट भाग लेते हैं । पुस्तक प्रकाशकों को भी आप इकट्ठी पुस्तकें खरीदकर उत्साहित किया करते हैं । आपके यहाँ ज्ञान प्रचारके उद्देश्य को लेकर गये हुए व्यक्तिको कभी निराश नहीं होना पड़ता । आपका पहिला ब्याह संवत १९६९ में हुआ था । नौ बरसके बाद यानी संवत १९७० में आपकी पहिली पत्नीका देहान्त होगया । शिक्षा के प्रभाव से आपने यह बात भली प्रकारसे जान ली थी, कि अपने जीवन भरका साथी यदि किसी को बनाना हो, तो पहिले उसके गुण स्वभाव और रूप रंगसे परिचय होना चाहिए; बाद में उसे अपना साथी बनाना चाहिए । जहाँ इसके विपरीत व्यवहार होता है, वहाँ प्रायः सुख शान्तिका अभाव रहता है। इसलिए दूसरा ब्याह आपने इसी तरहसे किया था। यानी
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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