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________________ ( ७१७ ) तानी पूजापूर्वक ए तप नादरवा शुद्धि सातमथी मांगी ने जादरवा गुंदि तेरश सूधी लागठ सात एकासयां करवां. एम सात वर्ष पर्यंत करवां. कोइक आचार्य त्रण वर्ष लगए सात एकासयां करवां कहे बे नजमणामां प्रधान चोवीश पक्कान्नना थाल यापवा. जे पुत्र स हित स्त्री होय, एवी चोवीश श्राविकाउने जमाडवी. पीलां वस्त्र करी पवां, मोटो महोत्सव करवो. ए जिनमाता नामा तप जादरवा महिनामां करियें. २६ समोसरण तप कहे बेः- ए तपमां एक एका सणुं, उपर एक नीवी पी एक प्रायंबिल, पबी उप वास करवो. एम करवाथी एक श्रेणी थाय. एवी चार ली करवी तेवारें शोल दिवस थाय. एमां बेल्लो न पवास पंजोसणना दिवसें यावे, एवी रीतें ए तप क खुं, ए तप समोमरणनी पूजा पूर्वक चार वर्ष पर्यंत की ते चोव दिवसें पूर्ण थाय. एवी रीतें समोसर ना एकेक धारनो आश्रय करीने प्रत्येक हारने स्था नकें चार चार दिवसनुं तप श्रावणवदि १ श्री करे | उजमणे समोसरण पूजा, नवेद्य यालचार 'ढोके. २७ नंदीश्वर नामा तप कहे बेः- नंदीसर डीप संबंधि जे प्रासाद बे, ते पट्ट उपर लखीने नंदीश्वरना पहनी पूजा पूर्वक पोतानी शक्ति माफक तप करवुं. ए मां दीवालीनी अमावस्याथी आरंजी उपवास करीयें. एम प्रत्येक श्रमावास्यायें तप करतां फरी दीवालीनी अमावस्या सूधी नंदीश्वरीपनां एक दिशानां तेर चै
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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