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________________ (६५५) २ श्रीपिनियुक्तिसूत्र श्रीनाबादस्वामिकत एनी मूल संख्या ७०० नी जे. एनी टीका श्रीमलय गिरिकत 3000 श्लोक जे. प्रत्यंतरें ६६०० नी जे. तथा संवत् ११६० मां श्रीवीरगणि रुत टी का ७५०० नोकनी,तथा महासूरिकत लघु वृत्ति ४००० श्लोकनी .सर्व संख्या १२०० ३धनियुक्ति श्रीनवादुस्वामिकत मूल गाथार १७० श्लोक १४५० मे. टीका शेणाचार्यकृत 3000 श्लोकनीले एनुं नाष्य ३००० श्लोक तथा चूर्णि 1000 श्लोक जे. सरवाले संख्या ४५० ४ श्रीनत्तराध्ययन सूत्र. एना बत्रीश अध्ययन वैरा ग्यमय में, एनी मूल संख्या २००० , तथा हहहत्ति वादिवेताल श्रीशांतिसू रिकृत १७००० . प्रत्यंतरें १७६४५ पण , तथा लघुत्ति सं वत् ११२ए मां श्रोनेमिचंइसरिहत १३६०० श्लोकनी ले. एनी नियुक्ति श्रीनबाद स्वामि कत गाथा६०७ श्लोक ७०० तथा एनी चूर्णि ६००० श्लोकनी .सरवाले संख्या ४०३०० जे. हवे बे चूलिका सूत्रनां नाम कहे जे. ५ नंदीसूत्र श्री देवर्दिगणिक्षमाश्रमण मूलश्लोक ७००, एनी वृत्ति ७७३५ श्लोक प्रमाण श्रीम लय गिरिकतं , एनी चूाणे संवत् ७३३ मांक रेली २००० श्लोकनी डे एनी लघुटीका श्रीहरि
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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