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________________ ( ६ ) ए । सम्माण वत्तित्र्याए । बोहिलान वत्तिश्राए । निरुवसग्ग वत्तित्र्याए ॥ २ ॥ साए मेहाए धिईए ॥ धार पाए अणुप्पेहाए ॥ वडूमालीए वामि काउस्सग्गं ॥ ३ ॥ अन्न उससीए ॥ इति ॥ ॥ अथ नमुडु वा शक्रस्तव ॥ ॥ नमुतुणं, अरिहंताणं, जगवंताणं ॥ १ ॥ श्राइ गराणं, तियराणं, सगं संबुदाणं ॥ २ ॥ पुरिसन माणं, पुरिससीहाणं, पुरिसवर पुंमरीप्राणं पुरिस वर गंधहीणं ॥ ३ ॥ लोगुत्तमाणं, लोग नाहाणं, लोग हित्र्याणं, लोग पईवाएं, लोग एकांगरा ॥ ४ ॥ अजय दयाणं, चस्कु दयाां, मग्ग 'दयाणं, सरण दयाणं, बोहि दयाणं ॥ ५ ॥ धम्म दया, धम्म देसिया, धम्म नायगाणं, धम्म सारहीणं. धम्म वर चादरंत चक्क वट्टीणं ॥ ६ ॥ पहिय वरनापदंसण धराणं, विग्रह बकमाएं ॥ ७ ॥ जि पाणं जावयाणं, तिन्नाणं तारयाणं, बुधाणं बोह याणं, मुत्ताणं मोगाणं ॥ ८ ॥ सवनूपं मन्वदरि सिणं, सिव मयल मरु मांत मरकय महाबाह मपुरावित्ति सिद्धि गइ नामधेयं, ठाणं संपत्ताणं. नमो जिलाणं ॥ ए ॥ इति ॥ ॥ अथ तीर्थस्तुति ॥ . ॥ जे अश्या तिबयरा, जे नविस्संति लागए काजे ॥ जे श्रावि वट्टमाला, ते सबे नाव नमिमो ॥ १ ॥ सुरकय मणुयकथं वा, जुवतिगे सासयं च जं
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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