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________________ (६४४) ॥तुवंती स्त्री संबंधि सूतक निर्णय ॥ १ दिन त्रण सुधी नांमादिकने वे नही. दिन चार लगें पडिक्कमणादिक करे नही पण तपस्या करे, ते लेखे लागे. दिन पांच पड़ी जिनपूजा करे.रोगादि क कारणें त्रण दिवस वीत्या पली पण जो रुधि र दीवामां आवे,तो तेनो दोष नथी. विवेकें करोप वित्र थई जिन प्रतिमादिक जिनदर्शन अग्रपूजादि क करे,तथा साधुने पडिलाने,पण जिनप्रतिमानी अंग पूजा न करें. एम चर्चरीग्रंथमां कडं जे. ॥मृत्यु संबंधी सूतकनो विचार ॥ १ घरनुं को मरण पामेलुं होय तो सूतक दिन बारनू. तेने घरे साधु थाहार लिये नही,तेना घरना थ नि तथा जलथी जिन पूजा थाय नही,एम निशीथ चूर्णीमां कडं . निशीथ सूत्रना शोलमा नहे शामां जन्म तथा मरण- घर जुर्गनिक कथु जे. २ मृत्युवाला पासें सुए तो दिन त्रण पूजा न करे. ३ कांधिया, देवदर्शन पडिक्कमणादिकत्रण दिन न ___ करे. परंतु जो नवकारनुं ध्यान मनमा करे,तो तेनो कां पण बाध नथी. ४ मृतने अडक्या न होय तो स्नान कीधे शुध्थाय. ५ अन्य पुरुष जो मृतने अडक्या होय तो ते शो ल पहोर पर्यंत पडिक्कमणादि न करे. ६ जेने घरे जन्म तथा मरण- सूतक थाय, तेने घरे जमनारा दिन बार सुधी जिनपूजा करे नही. माला पासें सुए हमणादिक जानतेनो
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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