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________________ ।। खुडतानिसमा यित्रनाहोहा ।। सापटुंने आरो, उन्या मेडि प्यारल ॥ माया मतिही ड्रेस बी, रोप्यो पापनो थल || ।। ऊर्म मशुल लारे सरी, लबमधो गतिलयारा रोहन लेहन बहु सह, कोर्घ सहाय नयाय ॥श ।। सोगएापयारामा यित्रनाहोहा ।। पीछे पछताबो मे, कुमति मुजीया जाय। मोटे गेलें घालियो सूच्यो बस्ती मायाशा माहों माहें जडाविया, उरि हाडोटा होडे आ गयेडा मीठा मलग, सांड रीवाताजागा ॥ पयाशमा यित्रना होहा ।। हायमें पापी शुज्युं, हारी मनुषा हेछ ।। थोडा अर्धनावि यां, उरता घणो सनेहरा शा ॥ मेाधनमा चित्रनाहोड़ा ।। सहनिश पर निंघ ठरे, धर्मवयन न सुहाय ॥ पर परिवाहना योगयी, मरी नरम्मा लय ।।।। पर माधामी तेहने, बेहना मेरे अपार । यहि वीछी बजगाडिने, हिये वलि डीपर मारारा सड़ा हीठी मएा सांलणी, मे परार्ध बाता खाम पिंड पायें लरे, ते यंडाल उहात आ अतुली भूल निंघ नपुं, सायं व्यसन छेशठतणी पुत्रीपरे, पामेय्यनरयते गांडगंगूंगांछेहतो, मान्य गरिजा रंगानी नउमाणिपन्या, तोडी जाये। याडी जाधी योतरें, उरत घोरा पाप मर्धनमा जीपन्या, गटे वीछू साप धा ॥ भवनमा चित्रना घेड़ा ।। मन मेलो मीठी मुर्जे, डूड उपटनी हमेशा पाप उरम पोतेरी परना अढे होष था दुर्बन सन्नन पूर्य म लें, पोलेमघरी वार्ननडुटिलाई पशुं, नवी तने उरे हाए एसपापमा रे सेवतो, पहोतो नरम् मकार ।। परमाधामी बेहना उरे उदघारी मार ॥ लीड्यो घासी बाथमा, खाराणी कोध उटारी मास्ता, अंर्धन याने मोरा टि
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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