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________________ ॥ नापिसमा मित्रनाद्दोहा ॥ हारो बने घरो पारेरे, रमने परभाषाभार ॥विक्रियसख्ये जनाबारे होत्युं संकुल गायारे ॥ था ठिक होय उंडासारे, लुजनृष्णा कासारे ॥ तोडे पापाने खापरे, लांबी सांय अनायरेशा ।। त्रेतानिसमा भित्रूना होहा।। पौत्री पाण्या पासभा, तेतर भोर समेर ।। नही नरम्भों जपन्यो, जमतो ट उठोर राशा कों को डरता अण्डा, घट घट तोडी जाय ॥ परमाधामी पापनि, धमकी लार घाय॥श! नीयनो लव नाजिया, नहीं सरोवरन्नसा ध्यान जाएगी स्त्रियां, पोहतो नरक विचास ॥ आ नी जायाया बुंडना, 5255रिरिशेपाचलग्या गृधने पंजिया उत्कट रशिया टोप॥ टोप अरि को घुसे हमहार ।। श्रीमलयंकर नरम्मा, नाणे नरमा।पा। भूगू कर दूराज़ीरे, जो जास विक्राजीरे । जाही यायेंरे, नाज हेह बिहाररे ।।६।। खगोपांगे विजय रे, सायना हे। कारे ।। बहन बहुती धायरे, थर थर पे डायशाणा ।। युभाषिसमायित्रना छोड़ा ।। सूयरहोय डुं मालारे, डौलाने विशलारे ।। झंडे पापाने घ्याय, करि करि कुंडलीतारेाशानानी देखु धजधजे, तू माहे नाजे पाट॥ पर भाषामी तेहनानं हाथ ॥शा सूबर सावरे कोडा, हरिगोहिडालवार मसल्या मान्या महोनिशकरतो पाप सहीब आ परभाधाम! तेहने, डरी वरनाइ ॥ एाना हर्षधरीषएयो, उरी महुकोष कुरामा पिस्तातीसमायित्रनाहोहा ॥ पाएगा डाव्या घोडामाऱ्या जरछी जाए। ।। उरे शिक्षरा सामरी, नगएकी धर्मनी भाग 1111 पीसे बसों सोनेरीरे, कालि सीएएस डेरीरे ॥ उरी बाधना उपरे, शाई ससी विश्परा पापदर्भमा मारिया मरीनम्मा नया प्रभा धामी वाघनी उपराजड़ीछलता योडासारे, गान करे खसरासारे।। खस्रो कोर्स याहारारे, पापीने पकडो पछाडारे ॥ ना जंजता परसाणारे मतवालालागारेगा ल्युपरमधामीराय, होडी जाएग बुलगारे ।पा। हिन् दूसराष्ट्रष्यारे, नगे जागने दुष्पारे पण कोर्घ रमाथ छुडावारे पड्यो कुहुखा करे पीडाबोरे शाসजनदि सौड़ि छोडरे, मेरे साउने कोडरे ।। परवश पडियो सायरे, मारे होडा होडराजा मांसभच्छर माया धागा, डेनी न मानी वात ॥ महरिले ते नरम्भा, घएगी पाने छेत्रासा ॥ छेतासिशमा चित्रना टोहा ॥ सिंह शिकार कियाषएगा, जांध्यांवर धमधागा पाप पुराने पन्या, महेन लांगााशा परभाषात्री वाघनां रूप की विराल ॥ संगोपांगे बेहना, सदेवजह लहना २ || सुता जिसमा त्रिना घेड़ा ।। मार हेये यमरायारे, तप तेने सवायारे ॥। इस वैदि ये सरप, थित्ता सरपलगा यारे ॥ ॥ तबकरे हाय हाबारे, तोडला जागा कायारे ॥ मुने सुज नहीं घरे ये घएगा खारे ॥ स्युडर होशे सुजरे, प्रवमे ही जपतें तो धर्मनी घोरे श्रीनगुनाथनोरे ॥आ राज म्युक्ष रोबेरे कीघांजर्मन लेवेरे गखजद्दीन पशु लाजेरे, पापी लुबडारे ।। ।। उरतो महारो महारोगे, कुटंजने परिवारोरे ॥ सजतोकिएारों को नहीरे, नहीं मेघ ताहरोरे ॥ मुसलमान तो लवे, मान्य बीछी साप पापथी पाभियौ, नरक उष्ट महालाप ॥झाइएगा टॉप कर कोष मा. देवे होम महारालीय लयंकर नरकमा, ना जेनर कमळार ॥णा सात व्यसन बे सेवता, अपना मोटा पाप॥नर्धनरकुमांडीपन्या, तेहने वाट्या सापाता भात पिताने पीडतो, करतोळगडा पापा न उपन्यो, पीटीबजगासापा
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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