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________________ मोगरतीसमारित्रनाला साधुबन संनापिया निघमिधीसपाररातातिथंलेंजाधिनेोमु. हरीलारापालाजी थरहरेपगलागेहाहाहांमुळना. गोरधन रातारा त्रीसमाथित्रनाघेहा।। यार स्नान फियानही यंतरंगतंभन सोयराएगगल पाएगी दोषिया पया नरममा नयालढोणीनेभतां घ्यामीघा याललाव माग्नि मतमा पर पापीना पाय राराा साघुतगी निंघमरा पूरे घघी गाजप धिनस्ततहणालेमग्नान लामघु पूग पाया घएगालाम लानने तारामानीटे तेरने हमेठीयारलगा रंगर व घाख्या घगा जान्यावनयरमेह ॥ परमापामीनेनी जाल जग्नि एपिप • एमत्रीसमायिनाघहा।। तलयुरलब विराचिया रिसानग्गी अंया परभाधामी पटस्ता, नतिरपी भामाहावरा घोगरा पहरिया ढोल्यापागल नीर उसी मारी रोलिरानसरोवर तीर पराानटिवैतरणीनीर नुजोष्ट स्वरूपारसी घिरने पागनो उत्तोरपाडा जर तुर्णधिजिन मावाटे घाया नाजे पाणेसाहिने परभाधामी नाभिया, पगी मरावेरखापा वकुमुपपा, मिनरंवार मारो गारं। उधेमस्त नाघिने पर देवरिनारा अत्रीशुभा चित्रनादा. • वेश्याविषय विधारथी अतिसेवी मनागारमिनिम्माीपनी सेहती चपार धूर्तपणे घनलेन वपीनन्लूवे वाटाहावे लाव नितु हेजी मेषवि नेरुनिराट वेश्याहुमाया री, सुजविससे संसारातईनरममा जीपनी घएगो सहे.यभभारागा पायगामायीनवभरच्यामानायरतालवावेतरागीमा तेत्रिशभाायेत्रनाहा। पष्ट पिंउरमोहियो संगरियो परनाराजग्नितपावा पूतणीसो. ठेगती मार नहुंभमुमहारावलमतधोमोटो त्रासारण ओशंसो उंगनोनिमायोडो श्वासराए परनारीने छूटोनहीं तो लागे मोटो धागापरनारीने परिहरा पर जारी नागाउ। रानडे सोलंगनमयततानिएने.यंशेजारमोदिने परनाराशंपीतामा परनारीनानेहमी पाएगीतरीनयाधिोड़ा सुरिने गरएकभार रनंतोप्नायापार घरहाएगीहासाबएगासुले नसूये जायालयाने योभारमोपरनारीघरमय पर योत्रिशमाथित्रनाघेस।। पटरी जोवी परथाएगधनराशीविश्वासनेशिया, सहेनरममावास्या हिंसाधर्म माघरी हाथे यूंट्यानंताननिर में सौपन्यानो एगरांताशा
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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