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________________ ।। अथ नर: होहा प्रारंभः ॥ तिहां मथम स्यी नरड पृथ्वी सुवी ज्या प्रहारनी बेहना छेते संबंधी होड़ा पापायी पाशिया, डीपन्या नरः मळार। परमाधामी परस्पर, बेहन क्षेत्र विचार ॥। १॥ त्रिहुं नरडें गए। बेहना, पी न्न ञिङमां होय ॥ सातमियें क्षेत्र जोथी, क्षएा जेम्सुमन हिं होय॥शा साठी जंगर मेरडा, थाजड तुगा प्रहार। नउड परजांधिने, भुहगरनी भार॥आ साडें घासी सामटा, मारे विविध प्रकार।घोर संधारे घालिया, पडिया उरे पु. असामा ॥ मथ पहेला संम्नां यित्र संबंधी होहा।। तीक्ष्ण रोड परिणामधी, घणा लव संहाराावेर घिनेी पना, नरगतीने द्वार ।ना परमा धामी घेरियो, सांसें घाल्यो सोया शस्त्र डीघाडा तोसिने मारएा सागा नोय ॥ ५ ॥ व हिंसा पापें उरी, शिपल्यो नरः मजार परमानामीते हने, हावा रे होअर ।।। ल न नडता यपत्र स्वलावील ॥ माथे मुहगर पाडना, पहली पांडेरीव राणा अनुमित द्वारन ने उरे, तेहना खेह वासरा ॥ श्रीन्यांना चित्रनाहोड़ा ।। रागतएगा रसियाहूता, सुगि सुगि उरतातान | धर्मस्थानविसां लसी, तेहना अपेोन ला ।। श्रीन्न मांडना यित्रनाहोड़ा ।। पर रमणीना उपनो, विषय बनाएयो ले ।। हेव गुइ निरज्या नही, डाडे सांयो होणा • तस्मांडीपना, !! योधामांना त्रिनांतेहा ॥ गयी उलियां तोडता, न गएयो रातने हीड़ ।। डाटे ना अभीड़ ||१|| रीछाडि बनलवने, साहेडी पाडया इंछ नाविधारीनाथिया, तेहना करत निउंट।१शासुरलीगंध संध्या घएा, गुच्छा ङ्गूल इशम् ॥ अतरसेल पडाबीयां, छेहेते हुनो नाई ।। आ
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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