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________________ जैन पाठावली ) पाठ चौथा दूसरा और तीसरा आवश्यक चौवीस तिर्थंकरो की स्तुति : ( १३ सूचना:- पहला आवश्यक पूरा होते ही, खडे होकर, पहले आवश्यक में बतलाई हुई विधि के अनुसार दूसरे आवश्यक की आज्ञा मांगनी चाहिए । आज्ञा मांगकर ' लोगस्स' का पाठ बोलना चाहिए। लोगस्स के पाठ से चौवीस तीर्थंकरो की स्तुति होती है । तीसरा आवश्यकवंदना : सूचना- पहले बतलाये अनुसार इस आवश्यक के लिएआज्ञा माँगनी चाहिए | इस आवश्यक में गुरुदेव को वदना की जाती है । मन, वचन या काय से गुरुदेव के प्रति किसी प्रकार की अविनय आशातना, अभक्ति, या अपराध हुवा हो तो उसके लिए गुरु-देव से क्षमा मागनी चाहिए । अगर मत - गुरुदेव मौजूद हो. तो उनके . सामने और यदि मोजूद न हो तो मन से गुरुदेव को सामने रखकर नीचे लिखी विधि के अनुसार यह आवश्यक करना चाहिए । विधि - आज्ञा माँगने के बाद उकडू आमन ( गोदुहासन ) से बैठकर 'इच्छामि नमासमणो' का पाठ दो वार बोलना चाहिए। इतना करने से तीसरा आवश्यक पूरा हो जाता है ।
SR No.010283
Book TitleJain Pathavali Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
PublisherTilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
Publication Year1964
Total Pages235
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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