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________________ तृतीय भाग) में काठियावाड से लगा कर ठेठ हिमालय की तलहटी तक उसके राज्य की सीमा थी । उत्तर पूर्व में पुरी से लेकर दक्षिण आन प्रान्त तक उसका राज्य फैला था । अशोक ने अपनी मृत्यु से पहले सम्प्रति को अवनीराज बनाया और फिर उसकी मृत्यु हो गई। अवन्तिराज सम्प्रति __ योग्य उम्न होने पर सम्प्रति राजसिंहासन का अधिकारी हुआ। उसने अपनी भुजाओं के बल से राज्य की खूब वृद्धि की ___ नेपाल और भूटान तक का प्रदेश अपने अधिकार में किया । कई छोटे-बड़े राज्यों को जीता । सभी लोग उसकी प्रशसा करते थे। एक बार सप्रति की माता शरदश्री ने संप्रति की प्रशसा सुनी । जैसे और-और माताएं अपने पुत्र की प्रशसा सुनकर प्रसन्न होती हैं उस प्रकार शरदश्री प्रसन्न नही हुई । एक दिन उसने पुत्र से कहा-'बेटा ! बाहर के बहुत से प्रदेशो को तूं ने जीत लिया है, मगर अभी अपने मन को जीतना तो वाकी रह गया है।' महाराजा सप्रति अपनी माता से बहुत प्रेम करते थे। । वह माता की बात को भली-भाँति समझ नही सके । उन्होने ___ कहा-'माताजी । फिर बतलाओ मुझे कौन-सा प्रदेश जीतना रह गया है ? मै उसे जीतने का प्रयास करूंगा।' माता ने हँसकर कहा-'पूर्व । तूं ने राजाओ को अपने
SR No.010283
Book TitleJain Pathavali Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
PublisherTilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
Publication Year1964
Total Pages235
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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