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________________ १७६) (जैन पाठावली त्यागी बनने के बाद धन्ना ने घोर तप किया । उनका गरीर हाडो का पीजरा हो गया । मत्य का समय सन्निकट आने पर आहार-पानी का भी त्याग कर दिया । उसी भव से उन्हे मुक्ति मिली। नमन हो वीर धन्ना को ! नमन हो तपस्वी धन्ना को ! समभावी मुनि मेतार्य मुर्गे में और आप में गिना न किचित् भेट । गये मोक्ष समभाव से मनि मेतार्य अखेद ॥ मेतार्य मुनि महावीर स्वामी के एक गिप्य ये । चाडाल कुल मे उनका जन्म हुआ था। . __ कडाके की धूप पड रही है । सूरज की प्रचड किरणो से धरती तवा की तरह तप गई है। पखी झाडो का सहारा ले रहे है। ऐसे समय मेतार्य मुनि गोचरी करने के लिए निकले है । मुनि के पैर नगे और सिर उधाडा है। उच्च, नीच और मध्यम कुलो मे फिरते-फिरते वे एक सुनार के घर गोचारी के लिए जा पहुंचे। यह सुनार राजगृही में प्रसिद्ध कारीगर था। राजा श्रेणिक
SR No.010283
Book TitleJain Pathavali Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
PublisherTilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
Publication Year1964
Total Pages235
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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