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________________ (जैन पाठावली कितना बढिया किराना खरीद लाया है। हमने पहले ही नही कह दिया था कि हजरत व्यापार मे इतने चतुर हैं ।' पिता ने आकर देखा । वह उस चीज को पहचानते थे। अतएव कहा-शावास बेटा । शावास । तब दूसरे लडके कहने लगे-'हम तो पहले ही जानते थे कि पिताजी धन्ना को शाबाशी दिये बिना नहीं रहेगे। यह तो खारी मिट्टी ही लाया है । अगर मोहरे फैकर रास्ते की धूल उठा लाता तो भी लाडला लडका तो लाडला ही रहता ।' अव पिता से नहीं रहा गया। उसने कहा-नादान लडको । धन्ना तेजतुरी लाया है । तुम तो इसे पहचानते नहीं हो, इसीसे मिट्टी मान रहे हो। जरा इसकी करामत तो देखो। यह कहकर उन्होने सोना बनाकर दिखा दिया। यह करामात देखकर वे लज्जित हुए। धीरे-धीरे व्यापारी भी धन्ना की सलाह लेने लगे । धन्ना की वजह से धनसार सेठ की प्रतिष्ठा बहुत बढ गई। धन्ना की प्रशसा सारे नगर मे होने लगी। लोग कहने-'धन्ना कितना गुणी है | उसकी बुद्धिमता का तो कहना ही क्या है | उसकी विनयशीलता भी तारीफ के योग्य है !' पर ईपखिोर भाई उसकी प्रशसा सहन नहीं कर सकते थे। वे कोई न कोई कारण खोजकर धन्ना से लडते ही रहते। ____धन्ना ने सोचा--'भाइयो को दुख होता है तो मुझे इसके बीच मे से हट ही जाना चाहिए। इन्हे अवसर देना
SR No.010283
Book TitleJain Pathavali Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
PublisherTilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
Publication Year1964
Total Pages235
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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