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________________ तृतीय भाग ) (१६७ इस प्रकार राजीमती ने अपना भी कल्याण किया और कितने ही दूसरे जीवो का भी कल्याण किया । भगवान् नेमिनाथ ने भी मोक्ष प्राप्त किया । 1 वन्दन हो भगवान् नेमिनाथ को । अगणित वन्दना हो इस प्रेरणा- दायिनी साध्वी गजुल को ! वीर धन्ना (१) * धीरज विनय मति का खजाना वीर धन्ना धन्य है, जाये जहाँ संपद बढे सौभाग्यवान् अनन्य है 1 अपने विरोधी वन्धुओं की भी मदद करता रहा, सामान्य कारण या तपस्वी साधु श्रेष्ठ बना अहा ! - दक्षिण देश मे गोदावरी नदी है । उसके किनारे पौंडन नामक नगर था । उस नगर मे धनसार नाम के सेठ रहते थे । ' उनके चार लड़के थे । उनमें सब से छोटे का नाम धन्ना था । धन्ना बहुत भाग्यशाली था । उसके कदम-कदम मे धन था। वह जहाँ कही जाता, चैन की वशी बजने लगती । 1
SR No.010283
Book TitleJain Pathavali Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
PublisherTilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
Publication Year1964
Total Pages235
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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