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________________ परीत-परिमित । परोक्ष-इन्द्रियजन्य ज्ञान , प्रत्यक्षभिन्न प्रमाण । पर्याप्त-पर्याप्तियुक्त ; शक्तिमान । पर्याप्ति-पुद्गल-ग्रहण, परिणमन एव परिपाचन कराने वाली क्षमता ; पूर्णता। पर्याय-वस्तु-गुण , पदार्थ का सूक्ष्म या स्थूल रूपान्तरण । पर्याय-स्थविर-श्रामण्य जीवन में वीस वर्ष पूर्ण करने वाला ___ साधु । पर्यायार्थिक-द्रव्य की मात्र वर्तमान पर्याय को ही ग्रहण करने वाला नय-विशेष । पर्युषण-जैन धर्म का सर्वमान्य स्वस्थ अध्यात्मपर्व, उपासना का प्रतीक । पर्युषण-कल्प-पर्युषण में करणीय शास्त्रोक्त विधि , वर्षाकाल के चार महीनों में एक स्थान पर निवास करना । पर्व-अष्टमी, चतुर्दशी आदि तिथि विशेष ; धार्मिक उत्सव दिवस। पल-तौल का प्रमाण ; चार वर्षों का एक पल । पल्य-एक योजन विस्तृत और एक योजन ऊँचा-गोल गड्ढा, धान रखने का बडा पात्र। [ २ ]
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
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