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________________ तिथंच - एक गति ; पशु-पक्षी आदि प्राणी ; देव, नारक तथा मनुष्य से इतर योनि में जन्म लेने वाले जीव-जन्तु | तिर्यंच-योनि - पशु-पक्षी आदि का जन्म स्थान | तीर्थ - १. यात्रा - स्थान, पूज्य पवित्र स्थल, प्रवर्तित शासन, ३ दर्शन, मत । तीर्थंकर - प्रथम परमेष्ठी, जिनेश्वर भगवान् ; तीर्थ के प्रवर्तक । तीर्थ यात्रा - तीर्थ - गमन; अकार्य से निवृत्ति । तीर्थ सिद्ध - वह जीव, जो तीर्थ उत्पन्न होने पर मुक्ति प्राप्त करे । तुला - सौ पल के बराबर का माप । तृण- संस्तर - तृण से निर्मित विस्तर | तृण - स्पर्श - परीषह - नुकीले पदार्थों की चुभन से होने वाली वेदना को सहन करना । तृषा - परीषह - प्यास सहन करना । " तेजकायिक- अग्नि का जीव अग्निकायिक का दूसरा नाम ; देखें- अग्निकायिक | तेजोलेश्या - तीन शुभ लेश्याओ में से प्रथम ; तप-विशेष के द्वारा उत्पन्न शक्ति से अग्नि की ज्वाला । तेला - देखें - अम | तेजस् - अग्नि । [ ६३ ] २. तीर्थंकर
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
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