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________________ तत्त्व-१. तथ्य , द्रव्य का सर्वस्व , वस्तु का निज स्वरूप, २. चौथे नरक का चौथा पटल । तत्त्वज्ञ-तत्त्व का जानकार । तत्त्वार्थ-जैसा का तैसा ग्रहण ; जो पदार्थ जिस रूप से स्थित है, उसका उसी रूप से स्वीकार ।। तत्वार्थाधिगम-सुख-दुःख का आधारभूत यथास्थिति पदार्थ । तद्भवमरण-वह मृत्यु, जिससे इस जन्म की तरह ही दूसरे लोक में जन्म हो; मनुष्य-जन्म में मरकर पुनः पुनः मनुष्य रूप में जनमना। तद्भाव-प्रत्यभिज्ञान का कारण ! देखें-प्रत्यभिज्ञान । तनुक्लेश-काय-क्लेश का अपर नाम । तन्तुचारणा-ऋद्धि-विशेष ; निर्भार होने की शक्ति । मकडी के तन्तु पर भी चलने का सामर्थ्य । तन्त्र-१. अर्थ का विस्तारक सूत्र या ग्रन्थांश-विशेष, २. दर्शन__मत, ३. विद्या-विशेष । [ ६१ ]
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
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