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________________ ब बन्ध - जीव - कर्म- संयोग ; कर्मों का जीव - प्रदेशो के साथ संयोग । बल - सामर्थ्य ; सैन्य ; मन, वचन व शरीर के प्राण । बलि - त्याग ; निग्रह । बहिरात्मा - देह को आत्मा मानकर भौतिक भूमिका पर जीने वाला मिथ्यादृष्टि | बहुप्रदेशी - अस्तिकाय; देखें- अस्तिकाय । बहुबीज -- एक फल में अनेक बीजो की विद्यमानता । बहुश्रुत - आगमो का ज्ञाता । वादर --- स्थूल ; विभाजित होने पर भी जुडने में समर्थ, जैसे दूध, घी, पानी आदि; नववाँ गुणस्थानक । वादर जीव- आधार के आश्रित जीव । S बादर सम्पराय - स्थूल कषाय सम्पन्न जीव । वाल - अज्ञानी; मिथ्या दृष्टि ; असंयत । वालटप - अज्ञानपूर्वक तप । [ ३ ]
SR No.010280
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size3 MB
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