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________________ [ २ ] मेघेश्वर जयकुमार | [ एकपत्नीव्रत के आदर्श ] ( १ ) सोमप्रभ न्यायप्रिय राजा थे । इस्तिनापुरकी प्रजाके वे प्राण थे । प्रजा के प्रति उनका व्यवहार अत्यंत सरल और उदार था। रानी लक्ष्मीमती भी उन्हीं के अनुरूप थीं। सुन्दरी होनेके साथ ही वे सुशील नम्र और कलाप्रिय र्थी । दोनोंका जीवन शांति और सुखमय था । वसंतमें आम्रमंजरी मघुरलसे भरकर सरस हो उठती है, यतिकाएं लहर उठती हैं और पुष्प-समूह हर्षसे खिल उठते हैं। रानी रक्ष्मीमतिका हृदय भी बालपुष्पोंको धारणकर खिल उठा था । ठीक समयपर उन्होंने बालसूर्यका प्रसव किया। हस्तिनापुरकी
SR No.010278
Book TitleJain Yuga Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchandra Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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