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________________ ( २६८ ) आशा विना ब्रह्मचर्यादि व्रत पालने से आत्मा देवभव के आयुष्कर्म को वांध लेता है प्रश्न--शुभ नाम कर्म किन २ कारणों से बांधता है ? उत्तर--सरल भावों से जीव शुभ नाम कर्म की प्रकृतियों को वांध लेता है। प्रश्न-सूत्र में शुभ नाम कर्म के बांधने के कितने और कौन २ कारण बतलाये हैं ? सुभनामकम्मासरीरपुच्छा, गोयमा ! काय उज्जुययाए भावुज्जुययाए भासुज्जुययाए अविसंवादण जोगेणं सुभनामकम्मासरीर , जावप्पयोगबंधे॥ भग० शत० ८ उ०६॥ भावार्थ हे भगवन् ! शुभ नाम कर्म जीव किन २ कारणों से वांधते हैं? हे शिष्य ! चार कारणों से जीव शुभ नाम कर्म बांधते हैं। जैसेकि-१ काय की ऋजुता अर्थात् काय द्वारा किसी के साथ छल न करने से, २ भाव की ऋजुता-मन में छल धारण न करने से, ३ भाषा की ऋजुता-भाषा छल पूर्वक भाषण न करने से ४ अविसंवादनयोग-शुद्ध योगों से अर्थात् जिस प्रकार मन, वचन और काय के योगों में वक्रता उत्पन्न न हो उस प्रकार के योगों के धारण करने से आत्मा शुभ नाम कर्म की उपार्जना करलेता है। जिस के प्रभाव से शरीरादि की सौंदर्यता के अतिरिक्त स्थिर और यशोकीर्ति आदि नाम कर्म वांधा जाता है, प्रश्न-अशुभ नाम कर्म किन २ कारणों से बांधा जाता है ? उत्तर-जिन २ कारणों से शुभ नाम की उपार्जना की जाती है ठीक उसी के विपरीत क्रियाओं के करने से अशुभ नाम कर्म वांधा जाता है। जैसे कि असुभनामकम्मासरीरपुच्छा, गोयमा ! कायअणुज्जुययाए, भाव अणुज्जुययाए भासअणुज्जुययाए विसंवायणाजोगेणं, असुमनामकम्मा जावप्पयोगबंधे। , भग० श० ८ उद्देश ६ ॥ भावार्थ हे भगवन् ! अशुभ नाम कार्मणशरीर किन २ कारणों से वांधा जाता है ? हे शिष्य ! काय की वक्रता से, भावों की वक्रता से, भाषा की वक्रता से और योगों के विसंवादन से अशुभ नाम कार्मण शरीर वांधा जाता है।
SR No.010277
Book TitleJain Tattva Kalika Vikas Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages335
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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