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________________ ८ स्त्रीपपिह-कामवासना से मनको हटाकर संयमरूपी आराम (वाग) में रमण करे किन्तु स्त्रियादि के विकारों में तनक भी मन न लगावे । ६चर्यापरीषह-विहार के कष्ट को सहन करता हुआ ग्रामादि में अनियत विहारी होकर विचरे । १० नैषेधिकी परीपह-विना कारण भ्रमण न करना अपितु अपने आसन पर ही स्थित रहना । इतना ही नहीं किन्तु गिरि, कंदरा, वृक्ष के मूल, श्मशान वा शून्यागार में ठहरकर सिंह व्याघ्र सर्प व्यन्तरादि देवों के किये हुए कष्टों को सहन करे। ११ शय्या परीपह-प्रिय वा अप्रिय वसति के मिल जाने पर हर्ष शोक न करना अपितु उसी वसति मे उत्पन्न हुए परीपह का सहन करना जैसेकिवसति चाहिए थी शीतकाल की किन्तु मिल गई उष्ण काल के सुख देने वाली इसी प्रकार उष्णकाल के स्थान पर शीतकाल की वसति उपलब्ध होगई होवे तो रोप वा हर्ष कदापि न करे। १२ आक्रोश परीपह-कोई अनभिज्ञ आत्मा साधु को देखकर क्रोध के आवेश में आकर गाली श्रादि वकने लग जाए तो उस समय शांति भाव का अवलम्बन करे। उसके प्रति क्रोध न करे । नांही उसको बुरा भला कहे। १३ वधपरीषह-यदि कोई साधु को यष्टि आदि से ताड़े तो भी उस पर क्रोध न करे किन्तु इस बात को अनुभव से विचार करे कि यह व्यक्ति मेरे शरीर का तो भले ही वध करदे परन्तु मेरे आत्मा का तो नाश करही नही सकता । इस प्रकार के विचारों से वध परीपह को सहन करे। १४ याचना परीपह-तथाविध प्रयोजन के उत्पन्न हो जाने पर घर २ से भिक्षा मांगकर लाना और मांगते समय लज्जादि उत्पन्न न करना क्योंकि-श्रमण भिक्षा धार्मिक वृत्ति कही जाती है । अतएव भिक्षावृत्ति में लज्जा करनी उचित नहीं है। १५ अलाभ परीपह-मांगने पर यदि फिर भी कुछ नहीं मिला तो शोक न करना किन्तु इस बात का विचार करना कि-यदि अाज नहीं मिला तो अच्छा हुआ । विना इच्छा ही आज तप कर्म होगया । अंतराय के क्षयोपशम हो जाने पर फिर आहार उपलब्ध हो जायगा । इस प्रकार के विचारों से अलाभ परीपह सहन करे किन्तु न मिलने पर शोक वा दीनमुख तथा दनिवचनादि का उच्चारण न करे। १६ रोग परीपह-रोग के उत्पन्न हो जाने पर उस रोगको वेदना को शांतिपूर्वक सहन करे । फिर इस वात का सदैव अनुभव करता रहे कि यह सर्व मेरे किये हुए कमाँ के फल है । मैं ने ही किये हैं और मैं ने ही इनका फल
SR No.010277
Book TitleJain Tattva Kalika Vikas Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages335
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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