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________________ विषयानुक्रमणिका प्रथमा कलिका विषय पृष्ठसंख्या | विषय पृष्ठसंख्या मङ्गलाचरण १ | भगवान के पास नामों की सर्वज्ञात्मा त्रिकालदर्शी होता है ३ व्याख्या तीर्थङ्कर गोत्र वांधने के वीस बोल ८ जैनमत की आस्तिकता का वर्णन ४१ चौतीस अतिशयों का वर्णन १८ सिद्ध परमात्मा का वर्णन ४३ पैतीस वचनातिशयों का वर्णन २६ चौवीस तीर्थङ्करों का सविस्तर अठारह दोषों का वर्णन ३० वर्णन अष्ट महाप्रातिहार्यों का वर्णन ३६ तीर्थङ्करो के नगर मातापिता श्राभगवान के बारह गुणों का वर्णन ३७ दि के कोष्ठक द्वितीया कालका धर्मदेव का वर्णन पूर्वक प्राचार्य छह आवश्यकों का वर्णन १३३ के छत्तीस गुणों का वर्णन ६२ श्राहार के ४२ वयालीस दोषों का सात नयों की व्याख्या ७३ . वर्णन १३४ पद् दर्शनों का वर्णन ८५ साधु के सत्रहवें (१७)गुण से लेकर आचार्य के छत्तीस गुणों की समाप्ति छव्वीस गुणों तक का वर्णन १३७ आचार्य की श्राठ संपदाएँ सूत्रसाधु के वाईस परीषहों का वर्णन १४० पाठ युक्त तथा उपाध्याय के साधु के सत्ताईसवेंगुण का वर्णन १४३ पञ्चीस गुणों का वर्णन | साधु की लब्धिएँ आदि का वर्णन १४३ वारह अंगो की व्याख्या ११२ सतरह (१७) भेद संयम कावर्णन१४६ साधु के सत्ताईस गुणों में से सोलह दस यति-धर्मों का वर्णन १५१ गुणों का वर्णन
SR No.010277
Book TitleJain Tattva Kalika Vikas Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages335
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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