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________________ ७८ जैन पदार्थ विज्ञान में पुद्गल रहेगा, या दोनो ही गतिहीन हो जायँगे, या दोनो ही गतिवेग- ह्रास करके गति करते रहेंगे और यह गतिहास प्रतिघात होना माना जायगा ? (६) वेग से गतिमान परमाणु- पुद्गल आयतन सयोग होने पर छिटक कर सयोग क्षेत्र से दूर जाकर रुकेंगे या सयोगक्षेत्र में ही प्रतिहत होकर रहेंगे । शायद और भी प्रश्न श्रवस्थापित हो सकते है । इस वेगप्रतिघात से निम्नोक्त नियम निकलता है " गतिमान परमाणु- पुद्गल को यदि गति करते हुए कोई वेग से गतिमान परमाणु- पुद्गल या पुद्गल नही मिले, तो वह प्रतिहत नही होता है ।" इस प्रकार परमाणु- पुद्गल में प्रतिघाती - प्रतिघाती परस्परविरोधी भावो का होना माना गया है। आधुनिक विज्ञान ने भी पदार्थ (Matter) में इस प्रकार के प्रतिघाती अप्रतिघाती विरोधी भाव होने माने तथा दिखलाये है । उदाहरण स्वरूप - एक्सरे की किरणें अनेक प्रकार के स्थूल पदार्थों से अप्रतिघाती है, रुकती नही है, लेकिन शीशे की मोटी चादर से प्रतिहत हो जाती हैं । यह प्रशिक तुलनात्मक उदाहरण है । साइक्लोट्रन यन्त्र में होनेवाली क्रियाओ में शायद पूर्ण तुलनात्मक उदाहरण मिल सके । ---- -- geyhbig
SR No.010273
Book TitleJain Padarth Vigyan me Pudgal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1960
Total Pages99
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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