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________________ ( 137 ) विशेषष्ट के तीन प्रकार । अतीतकालग्रहण, ३ अनागतकालग्रहण 2 वर्तमानकालग्रहण, प्रौपम्य के दो प्रकार - 1 साचोपनीत, 2 वैवोपनीत साधय के तीन प्रकार 1 किञ्चित् साधम्र्य, 3 सर्वसाधर्म्य 2 प्राय सावयं, पागम के दो प्रकार 1 लौकिक 2 लोकोत्तर दर्शन गुरण प्रमाण के चार प्रकार । चक्षुदर्शन 3 अवधिदर्शन 2 4 अचक्षुदर्शन केवलजान चरित्रगुरा प्रमाग के पाच प्रकार । मामयिक 3 परिहार विशुद्धि 5 ययाख्यात 2 4 छेदोपस्थापन, सूक्ष्मसपराय, नय प्रमार के तीन प्रकार 1 प्रस्तरसपटान्तन 3 પ્રાદબ્દાન્તન 2 वमतिदृष्टान्तन संख्या प्रमाण के पाठ प्रकार 1. नाम सन्ध्या 2 स्थापना सस्या 3 द्रव्य साया 4. श्रीपम्य माया 5 परिमाण माया जान मम्ध्या 7 गगना मस्या 8. भाव गरया प्रमाण के दो प्रकार । लोकि ग्रो 2 जोरोनर
SR No.010272
Book TitleJain Nyaya ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherNathmal Muni
Publication Year
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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