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________________ १९८ जैन कवियों के ब्रजभाषा-प्रबन्धकाव्यों का अध्ययन अन्य उत्तम नारी पात्रों में कौशल्या, वामादेवी, शिवदेवी, यशोदा, देवकी, चेलना, मन्दोदरी आदि उल्लेख्य हैं । काव्यों में इनका चरित्र आंशिक रूप में सामने आया है । इसीसे उनके उत्तम गुणों का आभास मिलता है। ऊपर उत्तम पुरुष और नारी चरित्रों पर संक्षेप में प्रकाश डाला है। आगे मध्यम चरित्रों का परिपार्श्व अवलोकनीय है। मध्यम चरित्र ___ ये वे चरित्र हैं जिनमें प्रायः सत्-रज-तम, तीनों गुणों का सन्निवेश मिल जाता है। इनका चारित्रिक विकास शालीन भंगिमा के साथ नहीं, अनेक टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं के बीच में होकर देखा जा सकता है । इनका लक्ष्य चाहे कितना ही ऊँचा हो, परन्तु उसकी प्राप्ति के उपाय स्तुत्य नहीं होते। ये अनेक सबलताओं के साथ दुर्बलताओं के भी शिकार होते हैं । ये चरित्र उत्तम और अधम के मध्य की कड़ी हैं। लव-कुश उनके चरित्र का संक्षिप्त इतिवृत्त 'सीता चरित' प्रबन्ध में आकलित है। दोनों का जन्म सीता की कोख से वज्रजंघ राजा के यहाँ होता है। वे प्रतापी, बलशाली और युद्धप्रिय हैं। उनकी महत्त्वाकांक्षा इतनी बढ़ी-चढ़ी है कि वे समस्त पृथ्वी को ही जीत लेना चाहते हैं। उनमें विनय' और मातृ-भक्ति के साथ उग्रता, अधैर्य एवं अहं का भाव स्थल-स्थल पर उभर उठा है। मारवत्त 'यशोधर चरित' में वह प्रमुख श्रोता के रूप में प्रमुख पात्र है। वह 1सीता चरित, पद्य १३८, पृष्ठ १० । • वही, पद्य १४६, पृष्ठ १० । ३. वही, पद्य १३६, पृष्ठ १० ।
SR No.010270
Book TitleJain Kaviyo ke Brajbhasha Prabandh Kavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherBharti Pustak Mandir
Publication Year1976
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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