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________________ · राम का मोक्ष गमन | ४६५ वहाँ से अपनी आयु पूरी करके रावण और लक्ष्मण पूर्व विदेह की विजयावती नगरी में सुनन्द तथा रोहिणी के पुत्र जिनदास और सुदर्शन होंगे। जिनदास होगा रावण का जीव और सुदर्शन लक्ष्मण का । वहाँ निरन्तर जिनधर्म का पालन करके सौधर्म देवलोक में देव वनेंगे | सौधर्म देवलोक से अपना आयुष्य पूर्ण करके विजयापुरी में श्रावक बनेंगे । वहाँ से मृत्यु पाकर हरिवर्प क्षेत्र में युगलिक पुरुष के रूप में जन्म लेंगे । हरिवर्ष क्षेत्र से कालधर्म प्राप्त कर उन्हें देव पर्याय की प्राप्ति होगी । देवलोक से च्यवन करके वे दोनों विजयापुरी में कुमारवर्ति राजा और उसकी रानी लक्ष्मी के गर्भ से जयकान्त और जयप्रभ नाम के पुत्र होंगे। उस भव में वे जिनोक्त संयम पालकर मरण करेंगे और दोनों लांतक नाम के छठे देवलोक में देव होंगे । उस समय तुम्हारी भी अच्युतेन्द्र की आयु पूरी हो जायेगी । तुम अच्युत देवलोक से च्यवकर भरतक्षेत्र में सर्व रत्नमति नामक चक्रवर्ती होगी । वे दोनों भी लांतक देवलोक से अपना आयुष्य पूर्ण करके तुम्हारे पुत्र होंगे । उनका नाम रखा जायेगा इन्द्रायुध और मेघरथ । तुम उस जन्म में श्रामणी दीक्षा लेकर वैजयन्तं नाम के दूसरे अनुत्तर विमान में देव पर्याय प्राप्त करोगी । . इन्द्रायुध ( रावण का जीव ) इसके पश्चात तीन शुभ भवों में उत्पन्न होकर तीर्थकर नामकर्म का उपार्जन करेगा | तुम वैजयन्त विमान से च्यवन करके उसकी गणधर वनोगी । उसी भव से तुम दोनों की मुक्ति हो जायगी । } मेघरथ ( लक्ष्मण का जीव ) इसके पश्चात भी अनेक शुभगतियों में भ्रमण करेगा और फिर पुष्करवर द्वीपार्द्ध के पूर्व विदेहक्षेत्र में स्थित रत्नचित्रा नगरी में चक्रवर्ती राजा बनेगा । चक्रवर्ती की सम्पत्ति और समृद्धि भोग कर वह अनुक्रम से तीर्थकर गोत्र का उपार्जन करके मुक्ति-सुख प्राप्त करेगा । }
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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