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________________ अर्थ सौजन्य : सादर आभार [जैन कथामाला के २६ से ३० भाग तक] सम्पादन एवं प्रकाशन में अर्थसहयोगी 7 श्री मंगलचन्दजी चोरडिया मूल निवासी-चांदावतों का नोखा (राज.) वर्तमान में हुवली श्रीयुत चोरड़ियाजी एक उत्साही नवयुवक हैं। आप नौ भाई हैं। जोगीलाल जी, सायरमलजी, जेठमलजी, आदि आपके अग्रज भ्राता हैं। अभी वर्तमान में आप आठवें नम्बर के भाई हैं । आप औषध-विक्रेता हैं । हवली में महावीर ड्रग हाउस का संचालन आप ही कर रहे हैं । इस सम्पादन में आपने अच्छा अर्थ-सहयोग दिया है, एतदर्थ धन्यवाद ! संस्था के अन्य प्रकाशनों में भी आप का सदा सहयोग मिलता रहेगा-ऐसा हमारा विश्वास है। - दीक्षा के अवसर पर उपलब्ध अर्थ राशि का सहयोग वि० सं० २०३४ वैशाख शुक्ला प्रतिपदा दि० १६-४-७७ मंगलवार को उप-प्रवर्तक पूज्य स्वामीजी श्री ब्रजलालजी महाराज के श्रीमुख से सतीजी श्री कानकुंवरजी, विदुपी सतीजी श्री चम्पाकुंवरजी व सतीजी श्री वसंतकुंवरजी के सान्निध्य में चांदावतों के नोखा में वैरागिन श्री कंचनवाई ने दीक्षा ग्रहण की थी। दीक्षा ग्रहण करते समय उपलब्ध अर्थ-राशि के अर्थ के कुछ भाग का उपयोग कंचनवाई ने इस प्रकाशन के सम्पादन में किया है। साध्वीजी श्री कंचनकुंवरजी संसार पक्ष में कुचेरा-निवासी स्व० श्रीरूप चन्दजी नाहर की पुत्र-वधू है तथा स्व० श्रीवुधमलजी नाहर की धर्मपत्नी है।
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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