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________________ 2 २१८ | जैन कथामाला (राम-कथा) कल्याणमाला ने अपने प्रधान पुरुषों द्वारा राम और सीता को बुलवाया तथा उनके लिए एक पर्णकुटी निर्मित करा दी। राम सीता सहित उसमें ठहरे और स्नान भोजन आदि से निवृत्त हुए । कुछ समय पश्चात कल्याणमाला स्पष्ट स्त्री रूप में अपने एक विश्वस्त मन्त्री के साथ पर्णकुटी में राम के सम्मुख आई | लज्जा से नम्रमुख कल्याणमाला को देखकर श्रीराम ने पूछा ― -भद्र े ! तुमने अपना असली रूप छोड़कर पुरुषवेश क्यों धारण किया ? कल्याणमाला ने अपनी रामकहानी सुनाई - कुबेरपुर में राजा वालिखिल्य राज्य करता था । एक बार म्लेच्छ लोग उसे पकड़ ले गये । उस समय उसकी रानी पृथ्वी गर्भवती थी । रानी ने पुत्री प्रसव की किन्तु मन्त्री सुबुद्धि ने घोषणा करा दी 'रानी ने पुत्र को जन्म दिया है ।' इसका कारण यह था कि राज्य का उत्तराधिकारी न होने पर राजा सिंहोदर कुबेरपुर को अपने अधीन कर लेता । पुत्र जन्म का समाचार पाकर उसने कहलवा दिया- 'जब तक राजा बालिखिल्य न लौटे पुत्र को ही राजा बना दिया जाय ।' इस प्रकार राज्य की रक्षा हो गई । मैं पुरुषवेश धारण करके राज्य करने लगी । इस रहस्य को मेरी माता और विश्वस्त मन्त्री के अतिरिक्त और कोई नहीं जानता । मैं अपने पिता को छोड़ने के लिए धन देती हूँ किन्तु वे म्लेच्छ धन तो ले जाते हैं और पिता को नहीं छोड़ते । हे कृपालु ! अब मुझ पर दया करो और जिस तरह आपने राजा वज्रकर्ण की रक्षा की थी उसी प्रकार मेरे पिता को भी बन्धनमुक्त करा दो । दयार्द्र करुणासागर राम कल्याणमाला की करुण कथा सुनकर हो गये । उसे आश्वासन दिया
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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