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________________ पुण्यचन्द्रोदय (संस्कृत) रामचरित (संस्कृत) वलभद्र पुराण सीता राम चौपई रामजस रास पदम चरित (हिन्दी) आदर्श रामायण ( २२ ) कृष्णदास पद्मविजय रइध् समयसुन्दर कवि केशराजजी दौलतराम जैन दिवाकर चौथमलजी म० सोलहवीं शताब्दी 11 31 सत्रहवीं . उन्नीसवीं 13 37 21 17 उन्नीसवीं शुक्ल रामायण प्रवर्तक शुक्लचन्द्रजी म० उन्नीसवीं 77 जैन रामायण (राजस्थानी पद्य) प्रवर्तक श्री मिश्रीमलजी म ० ( अप्रकाशित ) 11 इनके अतिरिक्त और भी अनेक रचनाएँ राम कथा के सम्बन्ध में मिलती हैं | अब इनमें से प्रमुख का भाषा वार संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार से है । प्राकृत भाषा में विक्रम संवत् ६० के लगभग नागिल वंशीय स्थविर आचार्य राहुप्रभ के शिष्य विमलसूरि द्वारा प्राकृत भाषा में रचित 'पउम चरियं' (संस्कृत पद्मचरित्र अर्थात रामचरित्र) जैन परम्परा का रामचरित विषयक प्राचीनतम ग्रन्थ है । इसका सम्पादन जर्मन विद्वान डा० हरमन याकोबी ने किया है । किसी अन्य विद्वान ने सीया चरिय (सीता चरित्र) लिखा है । भाषाभाव, रचना शैली आदि की दृष्टि से इसकी भी प्राचीनता असदिग्ध है । वसुदेव हिंडी, चउप्पन महापुरिस चरियं, कहावली आदि अनेक ग्रन्थों में श्रीराम के चरित्र का वर्णन हुआ है । संस्कृत भाषा में संस्कृत भाषा में कलिकालसर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र के त्रिपप्टि शलाका पुरुष चरित्र में राम कथा का विस्तृत वर्णन है । दिगम्बर आम्नाय के गुणभद्र कृत 'उत्तर पुराण', रविषेणकृत 'पद्मपुराण' तथा जिनसेन रचित 'पद्मपुराण' नादि ग्रन्य प्रमुख हैं । इनके अतिरिक्त और भी अनेक ग्रन्थ हैं ।
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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