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________________ : १०: हिंसक यज्ञों की उत्पत्ति . 'राक्षसेन्द्र ! वात मेरे बचपन की है, जबकि मैं विद्याध्ययन करता था।'-नारद जी कहने लगे चेदि देश में शुक्तिमती' नाम की नगरी है । उसके समीप ही नदी शुक्तिमती बहती है। भगवान मुनिसुव्रत नाथ के तीर्थ में इस नगरी का राजा हुआ-भद्र परिणामी अभिचन्द्र । उस राजा के वसु नाम का एक पुत्र था। नदी किनारे क्षीरकदम्ब गुरु का आश्रम था। उसमें तीन विद्यार्थी पढ़ते थे-गुरुपुत्र पर्वत, राजपुत्र वसु और मैं । गुरु आज्ञा पालन में तीनों ही तत्पर रहते थे। एक दिन मध्यान्ह बेला में हम गुरु द्वारा दिया हुआ पाठ याद कर रहे थे कि आकाश से दो चारणऋद्धिधारी मुनि' निकले । हम १' नगरी का नाम स्वस्तिकावती है तथा इसे धवल देश में स्थित बताया . गया है। __ -उत्तरपुराण, पर्व ६७, श्लोक २५६ २ वसु के पिता का नाम अभिचन्द्र की वजाय विश्वावसु दिया गया है तथा माता का नाम श्रीमती। - उत्तरपुराण पर्व ६७, श्लोक २५७ ३ (क) यहाँ चारण ऋद्धिधारी मुनियों का उल्लेख न करके एक अन्य घटना है
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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