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________________ ५६ | जैन कथामाला (राम-कथा) और उसके पीछे-पीछे अनुचर के रूप में चौदह हजार विद्याधरों के साथ चल दिया। __ लंकेश दिग्विजय के लिए चल दिया है यह समाचार सुनकर वानरेश सुग्रीव भी अपनी सेना सहित उससे आ मिला । दशानन अपने विशाल कटक के साथ विन्ध्यगिरि के समीप आ पहुँचा । वहाँ उसने पर्वत से निकलती हुई शुद्ध जल से परिपूर्ण रेवा नदी देखी। राक्षसराज को वह स्थान पड़ाव के लिए अच्छा लगा। उसकी . आज्ञानुसार नदी किनारे सेना ने शिविर डाल दिये। रावण नदी किनारे एक निर्मल स्थान पर स्नान आदि से निवृत्त हो, शुद्ध वस्त्र पहनकर प्रभु का ध्यान करने वैठा गया। ___ अचानक ही जैसे नदी में बाढ़ आ गई। जलधारा किनारों का वन्धन तोड़कर भूमि पर वहने लगी। सेना के शिविर जल में तैरने । लगे। रावण आकण्ठ जल में डूब गया। ध्यान भंग हो गया । कुपित । स्वेच्छा से उसके साथ गई है । अतः आपका कोप व्यर्थ है। अब समझ- - दारी इसी में है कि आप अपनी बहन का विधिवत विवाह उसके साथ रावण को मन्दोदरी की युक्तियुक्त वात पसन्द आई और उसने मय और मारीच रामस अनुचरों को भेजकर वहन चन्द्रनखा और खर को बुलवाया तथा उनका विधिवत विवाह कर दिया। खर ने जिस चन्द्रोदर को पाताल लंका से निष्कासित कर दिया था, कुछ समय पश्चात वह मर गया। मृत्यु के समय उसकी पत्नी अनुराधा गर्भवती थी। उसने विराध नाम का पुत्र प्रसव किया। विराध बनेक कलाओं में निष्णात युवक हो गया। वह वन में विचरता रहा और चन्द्रनखा का पति खर पाताल लंका का राज्य सुख भोगने लगा। उसी खर ने रावण का इस समय सत्कार किया ।
SR No.010267
Book TitleJain Kathamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1977
Total Pages557
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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