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________________ (शक्तिशाली या मोटी गर्दन वाला), वृकोदर (बड़े उदर वाला) एवं सुबाहु बताया गया है ।301 इन्द्र के अंगों एवं पाश्र्वो का वर्णन करते हुए जिव्हा से मधु पीने वाला कहा गया है।302 ऋग्वेद में ही एक अन्य स्थान पर इन्द्र को रंगीन बालों एवं दाढ़ी वाला303 तथा हरे रंग की ठुड़ढी वाला30+ कहा गया है। कभी कभी उन्हें स्वर्ण के रंग वाला बताया गया है ।305 ऋग्वेद में इन्द्र का हथियार वज्र बताया गया है।306 वे अंकुश भी लिये रहते थे।308 शत्रुओं को फँसाने के लिए वह एक जाल भी लिये रहते थे ।309 इन्द्र को जन्म से ही बहादुर एवं पराक्रमी बताया गया है।310 ऋग्वेद में उल्लिखित है कि इन्द्र के जन्म के समय उनके भय से पर्वत, आकाश और पृथ्वी हिल उठे। 11 इन्द्र को वैदिक कालीन भारतीयों का राष्ट्रीय देवता बताया गया है। मैक्डोनल के अनुसार इन्द्र की महत्ता क पता इससे चलता है कि लग्भग दो सौ पचास स्तुति मंत्र तथा उनकी प्रशंसा एवं अन्य देवों के साथ प्रशस्ति में उल्लिखित मंत्रो की संख्या तीन सौ के करीब पहुंच जाती है |312 सर्वप्रथम उन्हें वर्षा का देवता (पानी वर्षा ने वाला देव) और दूसरे स्थान पर युद्ध का देवता कहा गया है जिन्होंने युद्ध में आयों की सहायता की थी।313 यम:-जैन कथा साहित्य में अन्य प्राचीन देवताओं में यम देव की भी महत्ता पायी जाती है। यम को मृत्यु का देवता माना गया है। कढोपनिषद् में यम देव को विशद प्रभाव देखने को मिलता है। महाभारत में भी यमदेव के प्रभावशाली अस्तित्व का पता चलता है। महाभारत, उपनिषद् तथा अन्य ब्राह्मण ग्रंथो के आधार पर यम को मृत्यु का देवत स्वीकार किया जाता है तथा उनका वाहन भैंसा माना गया है। समराइच्च कहा में यम भगवान कृतान्त314 के नाम से सम्बोधित किया गया है। अथर्ववेद के पाप मोचन सूक्त में भी यम देव का उल्लेख प्राप्त होता है ।315 विष्णुधर्मोत्तर पुराण में भी 'यमरोच' का उल्लेख प्राप्त होता है जिससे विदित होता है कि यम की पूजा-अर्चना लोग अपनी रूचि से करते थे (यहाँ रेच का अर्थ रूच अर्थात् इच्छा से लगाया जाता है ।316 ( 126)
SR No.010266
Book TitleJain Katha Sahitya me Pratibimbit Dharmik Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Tiwari
PublisherIlahabad University
Publication Year1993
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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