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________________ वैवाहिक उदारता MAMAMAmmamnunamannananmananananananananagmamma an... की कन्या रत्नवतीसे विवाह किया। (उत्तरपुराणं पर्व ७५ श्लोक ६४६-५१). - २३-राजा धनपति (क्षत्रिय ) की कन्या पद्माको जीवंधर कुमार वैश्य] ने विवाहाथा। (क्षनचूडामणि लम्ब५ श्लोक ४२-४६) २४-भगवान शान्तिनाथ (चक्रवती) सोलहवें तीर्थकर हुये हैं। उनकी कई हजार पत्नियां तो म्लेच्छ कन्यायें थी। (शान्तिनाथपुराण) २५-गोपेन्द्र ग्वालाकी कन्या सेठ गन्धोत्कट ( वैश्य) के पुत्र नन्दा के साथ विवाही गई। (उत्तरपुराण पर्व ७५ श्लोक ३००) २६-नागकुमारने तो वेश्या पुत्रियोंसे भी विवाह किया था। फिर भी उनने दिगम्बर मुनिकी दीक्षा ग्रहण की थी। (नागकुमार चरित्र ) इतना होनेपर भी वे जैनियोंके पूज्य रह सके । किन्तु दिगम्बर जैनोंकी वैश्य जातिमें ही परस्पर अन्तर्जातीय सम्बन्ध करने में जिन्हें सज्जातित्वका नाश और धर्मका अधिकारीपना दिखता है उनकी विचित्र वुद्धिपर दया आये विना नहीं रहती है। इन शास्त्रीय उदाहरणोंसे विजातीय विवाहके विरोधियोंको अपनी आंखें खोलनी चहिये। - जैन शास्त्रों में जब इस प्रकारके सैंकड़ों उदाहरण मिलते हैं जिनमें विवाह सम्बन्धके लिये किसी वर्ण जाति या धर्म तक का विचार नहीं किया गया है और ऐसे विवाह करनेवाले स्वर्ग, मुक्ति . और सद्गतिको प्राप्त हुये हैं तब एक ही वर्ण एक ही धर्म और एक ही प्रकारके जैनियों में पारस्परिक सम्बन्ध (अन्तर्जातीय विवाह ). करने में कौनसी हानि है, यह समझमें नहीं आता। . . इन शास्त्रीय प्रमाणों के अतिरिक्त ऐसे ही अनेक ऐतिहासिक प्रमाण भी मिलते हैं । यथा- .
SR No.010259
Book TitleJain Dharm ki Udarta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmeshthidas Jain
PublisherJohrimal Jain Saraf
Publication Year1936
Total Pages119
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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