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________________ (७२) ८१ पद-राग होली दीपचंदी जिला पिल्लू ॥ सुधर सइयां मानों बात हमारी तजि कुमति कुनारी ॥ चतुर० ॥टेका कुटिल कुरूप लगी परसें नित वंध वढावन हारी ॥ तजि०१ ॥ सकल कुभाव कुरंग छिरकत नित लोकलाज तजि सारी। पापकींच वहु भांति लपेटें देति वदन पर डारी ॥ तजि०२॥ चक्षुहोन को ज्यों जग डोले बोले अति दुख कारो। या प्रसंग गति गति दुख पायो फिर तासों क्या यारी॥तजि०३॥ मो विनती पिय मान सयाने नातर होयगो खारी । मानिक स्वघर आउ हठ तजि भज सुमति सीख सुखकारी॥तजि०४॥ ८९ पद-होनी दीप चदी जिला पिल्लू ॥ पर परणतिसों रतिमानी रे मदमातो लंगर ॥ टेक ॥ पर परणति मय आप जानिके निज निधि नाहिं पिछानी रे॥ मढ०
SR No.010257
Book TitleManik Vilas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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