SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 61
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (६२) निजआतम जिन पायो निज पद अविकारी ॥ भज० ३ ॥ शिव रमणी बर तासु चरण पर मानिक मन वचतन वलिहारी। भज०४॥ ६ पद-दादरा देश। हो मेरे स्वामी तूं निज घर आउ॥टेका पर घर कुमति कूर संग भटको अब मत मूले जाउ ॥ हो०१ ॥ नर भव सुकुल सुथल ते पायो फिरि ऐसो नहीं दाउ ॥ हो०२॥' रत्न त्रय निज निधि तेरे घर विलसो त्रिभू वन राउ ॥ हो०३॥ सुमति सोख अजहूं भज, मानिक अचल सुघर सुख पाउ ॥ हो०४॥ ७० पद-दश में। हम तो अब निज घर को आये ॥टेक॥ भेद विज्ञान भान परकाशत भ्रम तम घान नशाये ॥ हम०१॥ निज घर के जाने बिन जग में घर घर भ्रम दुख पाये। काल
SR No.010257
Book TitleManik Vilas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy