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________________ को साथी भीर परें नहींनेरा । तिनके हेत करत अघ भाई होयगा नर्क वसेरा जीव० १॥ हरि हर इन्द्र चन्द्र आदिक सब भये हैं काल के चेरा । कहु तोको कैसे राखेतिन कीनो पर भव डेरा ॥ जीव०२॥ नय उपचार पंच पद सरनो गहिले अव मन मेरा निश्वय आप सरनो गहि मानिक जी होवे सुरझरा ॥ जीव०३॥ ४९ पदनाम जोगिया ॥ जीव लखि सम्यक नैन निहारी तजि भर्म वुद्धि दुख कोरी ॥ टेक ॥ अध्रुव तन धन अध्रुव परिजन अभुत्र महल अटारी। भ्रम करि सब नित्य मानत है सुधि बुधि सवे विसारी ॥ जीव० १॥ द्रव्य दृष्टि करि तूं अविनाशी चिन्मूरति दृग धारी । जग उपजत विनसत लखि भाई क्यों हर्षत विलखाई । जीव० २॥ तातें निज सम्हाल
SR No.010257
Book TitleManik Vilas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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