SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ टायो । परिग्रह धारिन को गुरु माने तिन ही को नमन करायो । कहें हम भाव न भायो । जिन०२॥ कुलाचार कूधर्म जानि धनदान पुण्य ठहरायो । लंघन • उप यास ठानि के वस्तु स्वरूप न पायो । क्या तन कट करायो । जिन०३॥ जिन ग्रहमांहिं मोम की बाती करि उत्सव मन भायो। सचित वस्तु सजिनिशि श्री जिन भजि पाप पंथ में धायो॥ कहाभयो जेनी कहायो। जिन ॥४॥ोजिनेन्द्र की माल नाम करि धरि बहु. मोल करायो । केवल ज्ञान छबीताको पंचा मृत न्हवन करायो ॥ कहें आज जन्म बधायो । जिन०५॥ रण भंगार जु आदि कथन सुनि अंग अंग हरपायो ।प्रोजन भूत तत्व सुनि विलखे ताकलह बतायो॥तिमिर मिथ्या दृग छायो । जिन० ६॥ मान
SR No.010257
Book TitleManik Vilas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy