SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 325
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री शांतिनाथनो रास खंग हो. ३११ पति धाविया ॥ लम् ॥ ॥ देव देवी परिवार ॥सा प्रशु प्रणमी करे पशुं ॥ ल ल ॥दीदा महोत्सव सार ॥ सा ॥ २० ॥ सरवार अनामें जली ॥ ॥ स ॥ शिविका रची तेणि बार ॥ सा ॥ वेग जगनुरु ऊपरें लालम् ॥ जगजनके श्राधार ॥ सा० ॥२१॥ चामर बजे सुरपति ॥ ल ल०॥ न धस्यं शिरदार ॥सा०॥ प्रथम उपाड़े मा नवी ।। स || लम् ॥ नग्नो प्रथम अधिकार ।। सा० ॥ २२ ॥ सुर थ सुरें बहे पठी ॥ ल ल ॥ गरुन अने नागें ॥ सा० ॥ शिधिका उपाडे जिनतएी ॥ ॥ ॥ धरता मन थानंद ॥ सा ॥ २३ ॥ के गाये वाये रंगणुं ॥ ल ल ॥ के नाटक करे सार ॥ सा ॥ नाट परे विरुदावली लाल०सदु कहे जय जयकार ॥ सा ॥२४॥ नुवनोनर गुणवर्णना ॥ल ॥ लम्॥ करे सुरपति ससनेह ॥ सा ॥ रासदायक नर श्रागलें ॥ लम् ॥ ॥ नृत्य करे गुणगेह ॥ सा ॥ २५॥ नंना तेरी मृदंगनां ॥ल० ॥ ल० ॥ चाज चालित्र सार ॥ सा ॥ ननमंमल गाजी रयुं ॥ ल ल ॥ उनिध्वनि मनोहार ।। मा० ॥ २६ ॥हाहाहद वर गायना ॥ लाल नाटकबंध संगीत ॥ सा० ॥ रंना निलोत्तमा नर्वशी ॥ लम् ॥ ल० ॥ नाचती अनुनय रीत ॥ ॥ २७ ॥ उत्सवणुं प्रनु याविया ॥ लम् ॥ ॥ गजपुर नगर गयान ॥सा ॥ सहस्त्राय वनमांहे श्रावीने ॥लाला अत्तरिया जगवान ॥ सा ॥२७॥धानपण उतारियां ॥ ॥०॥ मुक्यो परिग्रह नार ॥ सा० ॥ पंच मुष्टि करे केशनो ॥ ॥ ॥ सोच सहल परि चार | सा० ॥ २॥ ॥ बन्त्रांचल ३ लीया ॥ ल० ॥ ज० ॥ झीजनधि मांडे केश ॥ मा० ॥ बदेवाच्या रखे पदनी ॥ ॥ ॥ श्रागात न होय लेग ॥ मा० ॥ ३० ॥ नुमुल निवारे को सुरविनु ॥ ॥ ॥ बरे अनुनिति सुनाशि ॥ ना० ॥ ज्येष्ट शित चनदशी दिने । ल ॥ ॥ जगगन विधुचार ॥ मा० ॥ ३१ ॥ मुखें "नमोति हाणं " नगी ।। ॥ ॥ अन निये नयमनार ||सा० ॥ पाउला मानिस 1300वहनन चौविहार १३॥ मनःपर्यन नामें ल मनोगन नाव सा ॥ जाणे दो जही FREE RL ! 70 | नगर नि प्रन्नाव।। सा० ॥२॥ वना स
SR No.010253
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy