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________________ ' श्री शांतिनाथनो रास खंम पांचमो. ए पुरनो धणी, निहतारि नरिंदनी लो॥ अनि ॥ प्रिय मित्रा ने मनोरमा, मेघरय वस्था सुकनी लो ॥णामे॥२६॥ तेहज नृपनी लघु कनी, दृढर थने आपी लो ॥॥॥ सुमतिनामें सुखदायिनी, रतिरसनी वापी लो ॥अ॥ र ॥॥ सुख विलसत संसारनां, मेघरथजीनी जाया लो ॥ अमे॥ सुत नंदिपेण मेघसेन , प्रसव्या सुखदाया लो ॥षाप्रण॥ २०॥ दृढरथने एक सुत थयो, रथसेन विचारी लो ॥ अण् ॥ र ॥ ते त्रणे नणे एकता, बुद्धि सहुनी सारी लो॥॥॥रए॥ सुख संपत्ति वि लसे घणी, अहो पुण्यनी लीला लो ॥॥॥ नेह घणो बदु वंधवने, रहे अहोनिश नेला लो ॥धारण॥३॥ पहेली हो पंचम खमनी, ढाल रूडी वखाणी लो ॥॥ ढा० ॥ श्री सुमतिसुगुरु सेवक कहे, धन्य एह कमाणी लो ॥ अ॥ध० ॥ ३१ ॥ सर्वगाथा ॥ ३ ॥ ॥दोहा॥ ॥ धनरथ राजा एकदा, पुत्र पौत्र परिवार ॥ तखतें वेठा आवीने, सुंदर शोना सार ॥ १ ॥ मेघरथ जांखे तिण समे, निज पुत्रोने थाम ॥ वत्स कला मुज ागलें, परकासो गुणधाम ॥ २ ॥ प्रश्नोत्तर पूजो तुमो, कहो तस उत्तर सार । जनकवचन सुपी वोलियो, लघु बंधव तेणि वार ॥३॥ तद्यथा ॥ श्लोक ॥ कथं संबोध्यते ब्रह्मा,दानार्थे धातुरत्र कः॥ कः पर्यायश्च वाक्यानां,कोवाऽलंकरणं सताम् ॥१॥ ज्येष्ठ कहे सुण वांधवा,एहनो उत्तर खास ॥ “ कलान्यास " इति वली, कहे लघु वंधव उनास ॥४॥ श्लोक ॥ वित्तीय प्रश्नः ॥ दमनीतिः कथं पूर्वे,महारखेदे क उच्यते ॥ कोऽवलानां गतिर्लोक, पालः कः पचमोमतः॥॥ ज्येष्ठ कहे ए शुज कह्यु, “महिपति" एबुं नाम ॥ हवे हुँ पूडं ते कहो, मेघसेन धनिराम ॥५॥ तद्यथा तृतीयप्रश्नः॥ श्लोक। किमाशीवचनं राज्ञां,का शंजोस्तनुमंझनं ॥ कः कर्ता सुख दुःखानां, पात्रं च सुरूतस्य किम् ॥३॥ ए उत्तर देवा नणी, अजाण्या सद्ध कोय ॥ मेघरथजी तव कहे, "जीवरक्षा विधि" जोय ॥ ६ ॥ पुनरपि मेघरथेनोक्तं ॥ श्लोक ॥ सुखदा का शशांकस्य, मध्ये च नुवनस्य कः॥ निपेधवाचकः कोवा, का संसार विनाशिनी ॥ ४ ॥ कहे घनरथ जी "नावना", पद चिंटुं प्रश्नं थाय ।। उनर एवो सांजली,सदु हरख्या मनमांहि ॥७॥ण विनोद एहयो करयो, प्रश्नोत्तरनो सार ॥ण अवसर जेनीपन्यु, ते निसुणो नर नारि ॥ ७ ॥
SR No.010253
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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