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________________ - श्री शांतिनायनो गास रखम चोयो. २७० थे विवाह, मेलो हमाणां जाने के ॥ में ॥ पनें तुम सायें नोजन, कर हा इंचही रे के ॥ ० ॥ कई पुरंदर कठ, जमी हा कहीरे के ॥ जा ॥ २१ ॥ चोये खेमें ढाल, कही गणीशमी रे के ॥ का ॥ बालप जानी बात, कई। लाकर समीर के ॥ क० ॥ बुध श्रीसुमतिविजय कवि, सेवक विनवे रे के ॥ मे० ॥ रामविजय कहे धन्य, विचारी जे लवे के ॥ वि० ॥२॥ सर्वगाथा ॥५॥ लोक तथा गाया मली ॥२॥ ॥दोहा॥ ॥ नोजन करि कन्या पठी. लइ सायें परिवार ॥ शेठ पुरंदर यावीचो, रखनार घरबार ॥ १ ॥ यादर मान दिये घणां, मां श्रासन सार ॥ स्वामी पचाया यांगणे, धन्य श्रमचा अवतार ॥ ५ ॥ कदो स्वा मी कारण किरयु, कहे पुरंदर वात ॥ रत्नमुंदरी तुम सुता, पुण्यसार प्रम जात ॥ ३ ॥ जोडी नली जगती ठे, मेनीनं विवाह || Sग का राण प्राच्या प्रा. मनमा धरि नत्साद ॥ ४ ॥ रनसार कहे तजी, ए नो महान काज ।। तुम कग्यु करुणा करि, मीधां बांठित गज ॥ ५ ॥ देवी नुम सुतने सता, रत्नमुंदरी सार । पुष्प बिना किदांयी मने, पुण्यसार नग्तार ॥ ८ ॥ ॥ दाल वीगमी ।। |नेहो नांजी ॥ एदेशी ॥ तात नमी बेठी कन्या, धोने ग परें शाकी ।। ना ना ना पग' टुंएदने, वात एमुक न हावी ॥१॥ नाय मोजी ॥ दो रेनुनीदने समजायो, यलगा रही जी रयांकानी । जाणोनेवर कोइन, नानजी मुफ परणायो । चरकुंवारी दिनात वारु, पण pra न गायो । नाय० ॥ २ ॥ शेउ पुग्दा चिंते मनमा, जु बोले शो यात्रा | मुगा सुग प्रागा कर पराया, पण खोटा गहना चाला। + !| গান r মা, বাসন মনমান{} গান मुर, मुनने, ला, न मने सम्पनी नानी ॥ ना || || रामार रामा योनजण पीत वाजविटनं यांगने पर मन नापन र समजानीक सभी, तुम तुलन Karnी कन्या महागामा जापनशाना पानी गायी, विरोधमा एल सुमार 1. 10 1014
SR No.010253
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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