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________________ १३३ श्री शांतिनायनो रास खंग त्रीजो. ॥ दोहा ॥ ॥ कहें मुनि उपनय एहवो, नयरी उद्रेणी नाम ॥ नृप जितरिपु धारिणी तनय, नरसिंह सुत अभिराम ॥ १ ॥ सकलकला पूरण शशी, यौवनरूप रसाल ॥ कन्या परणावी पिता, क्षत्रिंशत सुकुमार ॥ २ ॥ तुली चल सुख भोगवे, मनोवांबित संयोग || मात पिता मनवनहो, विलसे विषयिक जोग ॥ ३ ॥ ॥ ढाल तवीशमी ॥ ॥ मगध देशको राज राजेश्वर || ए देशी || एकदिवस ते पुरने परिसरें, थाव्यो हो वननो हाथी ॥ उज्ज्वल वर्षे गज तिम उंचो, नृपने कर्तुं कोई साथी के ॥ १ ॥ राजन अरज सुणो एक मोरी ॥ हुं वलिहारी तोरी ॥ वा लेसर ॥ एयांकणी ॥ गज कोप्यो जन विप्लव करतो, राख हो श्रमचा स्वामी || अमो अनाथ अशरण कोण यागें, कहियें नइ शिर नामी के ॥ रा० ॥ २ ॥ सुपि राजा सेना दोडावी, सवल राणीना जाया || देखी गज मदमत्त मदोश्त, दीन या फरी व्याया के ॥ रा० ॥ ३ ॥ याप यो सवार नरेश्वर, पहेरी सन्नाह ते शूरो ॥ यावी नमे नरसिंह कुम रजी, बोले एम गुणपूरो के ॥ रा० ॥ ४ ॥ राज विराजो महोलें ठाजो, हुकम करो व अमने || फुरमावो तेहनें वांधीने, गुजरातुं नेइ स्थानें के ॥ रा० ॥ ५ ॥ हुकम दुवो गज जावो हो जाली, दोड्यो य सवार ॥ केसरीया रजपुत रढियाला, सायें सवाल परिवार ॥ रा० ॥ ॥ ६ ॥ दीठो गज नव हाथनो लांबो, सात उन्नत त्रण पहोलो ॥ दीर्घ दंत फर पिंगल नयरों, दरिसए जेहनो न सोहिलो के || रा० ॥ ७ ॥ चारों चाली लक्षणे पूरो, दीठो गर्दन कुमारें | सिंधुर राजकुमर जणी धतियों, लोक सहूको बारे ॥ ८ ॥ कुमरजी एगज काल्यो न जाय ॥ देखि ततखेव ए यमना सरिखो, ए पासें जाय बजाय ॥ कुमः ॥ ए० ॥ कुमर कड़े तु दूरे रहो सवि, ए गजने नसाहुं ॥ तो जितरिपु कुलतो कुं जायो गज याएं यही चाके ॥ ० ॥ ए ॥ चक्रपरे गजने treat, or a ते गाढी ॥ चरणों खेदाणो वा नराणां, यादो के || रा० ॥ १० ॥ नई वो ऊपर लघु कलर्श, जीयाँ राजकुमार ॥ विस्मयं पापा यावानं श्राप्यो बत्यो जय जय प्रध
SR No.010253
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1892
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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