SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गौतमकुलक कथासहित. ४५ गाववाना मन प्रवर्त्ते, केक वचनबलिया के, जे अंतर्मुहूर्तमां सकल श्रुत उच्चार करवा समर्थ होय, केश्क कायबलिया जे काउस्सग्गे वर्ष पर्यं त बना रहे पण थाके नहीं, केश्कन्म पात्रमां रुदन पड्युं थकुं पण खीर, खांम, घृत, अमृतना रसथकी अधिको स्वाद उपजे, एवं थाय, केश्क म ध्वस्वी जेनी वाणी मधु जेवी स्वादवंत नीकंले, केश्क सर्वियास्त्रवी जे ने बोलतां सांजनारने घृत सरखो स्वाद उपजे, केइक श्रमृतास्रवी एटले जेनी वाली मां अमृत सरखो स्वाद होय, केश्क यही महा निशीलब्धि वंत ते गौतमस्वामीनी पेठे जेना पात्रमां पड्युं यन्न ते ज्यांसुधी ते पोतें आहार न करे, त्यां सूधी तेमांथी गमे तेटलाने खापे पण खूटेज नही, केक की महालया जेना कपडा प्रमुखमां गमे एदला मनुष्य बेसारे पण वज्रस्वामीनी पेठे वधतो जाय, केक संचिन्न श्रोत्र लब्धिवंत ते जेनां एक इंडिय ते पांचें इंडियोनां काम करे, अथवा समकाले सर्व जातिनां वा जां वागे, तो पण निन्न निन्न स्वाद ले, तेमज केश्क जंघाचार मुनि, केक विद्याचरण मुनि, केक शापप्रमुख देवा समर्थ, केक खाशीविष लब्धिवंत, केश्क पुलाक लब्धिवंत, केक अवधिज्ञानवंत, केइक मनः पर्यवज्ञा नवंत, केक केवलज्ञानवंत, एवा महाऋषीश्वर अनेक लब्धिवंत बतां पण उपजीवन करतां परोपकार तीर्थप्रभावनाने अर्थे विहार करता विचरे. एक दिवस ते महें राजऋषीश्वरने पोतानुं श्रात्मतत्त्व विचारतां य कां शुक्लध्यानने योगें घातिकर्म दय थवाथी केवलज्ञान उपन्युं त्यां देवता यें केवलज्ञाननो महोत्सव करीने धर्म सांगव्यो पढी ते मुनि अनेक वर्ष सूधी विहार करी अनेक नव्य जीवने प्रतिबोध देइने श्री सिद्धाचलजी उपर परिवार सहित जने नावोपग्राही कर्म कय कर मोदे पधास्या. heats तेमनो परिवार पण दुष्कर तप संयम पाली सुनध्याने तत्प रथको सकलकर्म करीने मोके गयो. केश्क साधु सावशेष कर्मे करी अनुत्तर विमानमां गया. केइक ग्रैवेयकने विषे गया. केइक देवलोकने विषे गया. केक शक्रेंड्ना सामानिक देवता थया. एम अनुक्रमें बे त्रण नवें मोछें जशे . इति महें नरेंनी कथा संपूर्ण. हवे बीजो अर्थ. साधु होय ते समता करे, ते ऊपर अर्जुनमालीनुं दृष्टांत. राजगृह नगरने विषे अर्जुन नामें एक माली रहेतो हतो, तेने स्कंध
SR No.010251
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size46 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy